टैक्स सेविंग 2021 | Tax Saving Scheme 2021 | Section 80C 2021

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    Tax Saving Scheme 2021
    Tax Saving Scheme 2021

    जाने क्या है टैक्स सेविंग स्कीम 2021 | Tax Saving Scheme 2021 | और आप कैसे कर सकते है अपना इनकम टैक्स

    क्या आपको पता है टैक्स सेविंग क्या होती है और आप कैसे अपना इनकम टैक्स बचा सकते है। ऐसा जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति के लिए निवेश का एक ही सुझाव सही साबित नहीं हो। इस वजह से हर व्यक्ति अपनी स्थितियों के अनुसार इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश के विकल्प चुनता है। किसी भी व्यक्ति के लिए एक सीमित आमदनी में परिवार चलाना मुश्किल काम है। इस वजह से तमाम लोग इनकम टैक्स बचत के विकल्पों में निवेश कर इनकम टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं। आम तौर पर यह निवेश भविष्य की सुविधा के हिसाब से किया जाता है। इनकम टैक्स बचत के लिहाज से आयकर कानून का सेक्शन 80C बहुत महत्वपूर्ण है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C में बहुत से ऐसे विकल्प हैं जिसमें निवेश के जरिये आप 1.5 लाख रुपये तक की रकम पर टैक्स बचा सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने वेतन या कारोबार से आमदनी के बाद इनकम टैक्स के 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आता है तो इनकम टैक्स कानून के सिर्फ सेक्शन 80C में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश से वह टैक्स देनदारी के 46,350 रुपये की बचत कर सकता है। आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत आने वाले निवेश विकल्पों में 1.5 लाख रुपये से अधिक का भी निवेश कर सकते हैं। टैक्स बचत के हिसाब से कर लाभ केवल 1.5 लाख रुपये तक ही सीमित होगा। तो चलिए, टैक्स बचत के लिए कुछ लोकप्रिय निवेश उत्पादों के बारे में बात करते हैं, जिनमें निवेश करने पर आपको सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत का लाभ मिलता है।

    पब्लिक प्रोविडेंट फंड: पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ अकाउंट निवेश का अच्छा विकल्प है। इस खाते में आप सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है। साथ ही आपका आय पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। साथ ही साथ मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम भी टैक्स के दायरे में नहीं आती है। इतने सारे टैक्स बेनिफिट को देखते हुए लोग अपने बैंक या पोस्ट ऑफिस में पीपीएफ खाता खुलवाते हैं। इसकी मदद से लोग काफी रकम जोड़ लेते हैं। साथ ही अगर अपने किसी से कोई कर्ज लिया है जिसे आप अभी चूका नहीं पा रहे तो कोई भी व्यक्ति कर्ज वसूलने के लिए आपका पीपीएफ खाता जब्त नहीं कर सकता। कोर्ट भी पीपीएफ खाते की रकम से कर्ज का भुगतान करने के लिए नहीं कहता।

    5 साल का बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट: नियमित और निश्चित आय की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिए एफडी एक अच्छा विकल्प है। कई बैंक ऑनलाइन फिक्स्ड डिपॉजिट खोलने की सुविधा देते हैं। कुछ बैंक 10 सालों का मैच्योरिटी पीरियड भी देते हैं। तो वहीं समय से पहले पैसे निकालने पर एफ़डी में चार्ज लगता है। आपको बता दें कि निवेशक महीने, तिमाही, छमाही और सालाना के आधार पर आप सुविधानुसार ब्याज पा सकते हैं। फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट पर लोन, ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी होती है। SBI मूल जमा का 90% लोन, ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है।

    यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान: एक यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, एक ऐसा उत्पाद है जहां बीमा और निवेश लाभ, एक में ही एकीकृत होते हैं। इन्हें बीमा कंपनियों द्वारा पेश किया जाता है और इसे पहली बार यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने लॉन्च किया था। ये मुख्य रूप से भारत में उपलब्ध होते हैं। यूलिप, बीमा और निवेश का एक संयोजन है। जब आप एक प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो इसका एक हिस्सा बीमा कंपनी द्वारा आपको बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है और बाकी का कर्ज और इक्विटी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए उपयोग किया जाता है।

    इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम: इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूच्यूअल फण्ड की एक केटेगरी होती है जिसे सरकार ने इक्विटी में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए शुरू की है। इक्विटी पार्टिसिपेशन को सुधारने के लिए सरकार ने इक्विटी पर आधारित म्यूच्यूअल फण्ड में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम के माध्यम से टैक्स में डिडक्शन के योग्य होने की अनुमति दी है। टैक्स डिडक्शन की पेशकश करके औसत भारतीय नागरिक को इक्विटी में अपनी सेविंग का एक बड़ा हिस्सा इन्वेस्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में इन्वेस्टमेंट किसी भी इन्वेस्टर्स को कई तरीकों से लाभ पहुंचा सकता है।

    प्रीमियम लाइफ इंश्योरेंस: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी एक व्यक्ति और एक इंश्योरेंस प्रोवायडर के बीच किया गया एक कॉन्ट्रैक्ट होता है, जिसमें इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसीधारक को मासिक शुल्क या फीस जिसे प्रीमियम कहा जाता है के एवज में आर्थिक सुरक्षा देती है।

    नेशनल पेंशन सिस्टम: नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस एक सरकारी रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है, जिसे केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 को लॉन्च किया था। इस तारीख के बाद ज्वाइन करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य है। साल 2009 के बाद से इस योजना को प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए भी खोल दिया गया।

    वरिष्ठ नागरिक बचत योजना: वरिष्ठ नागरिक बचत योजना एक सरकार समर्थित बचत योजना है जो 60 साल से अधिक आयु के भारतीय निवासियों के लिए सरकार द्वारा बनाई गयी है। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में खाता खोलने की तारीख से 5 साल के बाद जमा राशि मैच्योर होती है। लेकिन यह अवधि एक ही बार अतिरिक्त 3 साल के लिए बढाई जा सकती है। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत जनवरी से मार्च 2019 के लिए SCSS की ब्याज़ दर 8.6% निर्धारित की गई है।

    सेक्शन 80C: इनकम टैक्‍स एक्‍ट के तहत सेक्शन 80C टैक्‍स में छूट पाने का सबसे अच्छा तरीका है। इसके तहत आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। सेक्शन 80C के तहत लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम जमा कर, ELSS, EPF कंट्रीब्‍यूशन, एन्‍युटी प्‍लान के प्रीमियम पेमेंट, पोस्‍ट ऑफिस स्‍मॉल सेविंग्स स्‍कीम्‍स, PPF, टैक्स सेवर FD, सुकन्या समृद्धि स्कीम, Ulip, LIC क एन्युइटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, नाबार्ड बॉन्ड और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट कर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। इसके अलावा बच्चों की ट्यूशन फीस के जरिए भी टैक्स बचाया जा सकता है।

    सेक्शन 80CCC: इस सेक्शन के तहत एक व्यक्ति इंश्योरेंस पॉलिसी के किसी भी एन्युइटी प्लान में इन्वेस्टमेंट पर टैक्स बचा सकता है। यह प्लान पेंशन देने वाला होना चाहिए। एन्युइटी प्लान से हासिल पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर मिलने वाला ब्याज सहित अमाउंट या बोनस टैक्स के दायरे में आता है।

    सेक्शन 80CCD: Section 80CCD (1) पेंशन अकाउंट में डिपॉजिट करने वाले व्यक्ति को टैक्स में छूट दिलाता है। इसके तहत सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है। दूसरा section 80CCD (1B) के जरिए सैलरीड पर्सन अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकता है। यह 50000 रुपये तक की होगी।

    सेक्शन 80TTA: इस सेक्शन के तहत किसी भी बैंक, पोस्ट ऑफिस या को-ऑफिस सोसायटी में सेविंग्स अकाउंट से 10000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री होता है। इसका लाभ व्यक्ति या HUF (Hindu Undivided Family) ले सकते हैं। हालांकि इसके तहत FD, RD या कॉरपोरेट बॉन्ड से हासिल ब्याज टैक्स फ्री नहीं होता है।

    सेक्शन 80GG: इस सेक्शन के तहत उन लोगों को घर के किराए पर टैक्स छूट मिलती है, जिन्हें सैलरी के साथ HRA (House Rent Allowance) नहीं मिलता है। साथ ही टैक्स देने वाले, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के पास कोई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए।

    सेक्शन 80E: इस सेक्शन के तहत हायर एजुकेशन के उद्देश्य से लिए गए लोन, टैक्सपेयर, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका टैक्सपेयर लीगर गार्जियन हो। टैक्स छूट का लाभ लोन का ब्याज चुकाया जाना शुरू किए जाने वाले साल से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुकता हो जाने, जो भी अवधि पहले खत्म हो तक लिया जा सकता है।

    सेक्शन 80U: अगर कोई भी व्यक्ति शारीरिक या मानसिक तौर पर दिव्यांग है तो वह सेक्‍शन 80U के तहत 75,000 रुपये तक की टैक्‍स छूट ले सकता है। इसमें ब्लाइंडनेस भी शामिल होगी। गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगता के मामले में टैक्‍स छूट 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है।

    सेक्शन 80G: सेक्‍शन 80G के तहत उल्लिखित संगठनों को डोनेशन या दान देकर टैक्स में छूट पाई जा सकती है। यह छूट कुछ मामलों में 100 फीसदी तक तो कुछ में 50 फीसदी तक या किसी में बिना लिमिट वाली हो सकती है। हालांकि कैश में 2000 रुपये से ज्यादा की डोनेशन पर छूट नहीं मिलेगी।

    सेक्शन 80GGC: इस सेक्शन 80GGC के तहत किसी टैक्सपेयर द्वारा किसी पॉलिटिकल पार्टी या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट पाई जा सकती है। हालांकि यह कैश में नहीं होना चाहिए।

    सेक्शन 80D: सेक्‍शन 80D के तहत व्यक्ति या HUF सेक्‍शन 80C पर मिलने वाली टैक्‍स छूट के अतिरिक्‍त अपने लिए, पत्‍नी, बच्‍चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पर 25,000 रुपये तक की टैक्स छूट पा सकते हैं। अगर आपके पेरेंट्स की उम्र 60 साल से कम है और आप उनके लिए हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं तो आप इस 25000 रुपये की छूट के अलावा 25,000 रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकते हैं। वहीं अगर माता-पिता 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं तो यह छूट 50000 रुपये तक की होगी।

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