राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को की गई थी। इस योजना को 94 वर्ष हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी थे। उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव श्री सुरेश भैया जी ‘जोशी’ के प्रशिक्षण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयंसेवी, निस्वार्थ, राष्ट्रभक्त तथा अर्धसैनिक शामिल किए गए थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तब से लेकर अब तक सक्रिय हैं। RSS का मुख्यालय नागपुर महाराष्ट्र में स्थित है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समूह चर्चा और अभ्यास के माध्यम से शारीरिक तथा मानसिक प्रशिक्षण करवाए जाते हैं। RSS एक ऐसा संगठन है, जिसमें स्वयंसेवक अर्ध सैनिकों को शामिल किया गया है। BCC के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का इतिहास | RSS Kya Hai
हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण करने तथा हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट किया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 40 वर्ष बाद आपातकाल की घोषणा हुई थी; तो तत्कालीन जनसंघ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था, प्रतिबंध के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी गई थी।
आपातकालीन स्थिति के खत्म होने के बाद जनसंघ को दुबारा से जनता पार्टी में शुरू किया गया और इस समय केंद्र में मोरारजी देसाई जी ने मिली जुली सरकार बनाई। धीरे-धीरे इस संगठन का राजनीतिक महत्व बढ़ने लगा और इसी के परिणाम स्वरूप भाजपा जैसे राजनैतिक दल राजनीति में सक्रिय हुए। भाजपा पार्टी कोआमतौर पर संघ की राजनीतिक शाखा के रूप में भी देखा जाता है।
संघ की स्थापना के पश्चात प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के नेतृत्व में एनडीए की मिली जुली सरकार भारत की केंद्रीय सत्ता में कार्यशील की गई। तब से लेकर अब तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीतिक तौर पर भी हर जगह मौजूद है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची | RSS Sarsanghchalak List 2022
नाम | कार्यकाल |
डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टरजी | (1925 – 1980) |
माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य गुरूजी | (1980 – 1973) |
मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य बालासाहेब देवरस | (1973 – 1993) |
प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया | (1993 – 2000) |
कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन उपाख्य सुदर्शनजी | (2000 – 2009) |
डॉ॰ मोहनराव मधुकरराव भागवत | (2009 – वर्तमान सरसंघचालक) |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संरचना
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सारे समूहों का संगठन किया जाता है और उसके बाद सब के ऊपर पूरे साल का दिशानिर्देश संगठनात्मक समूह के द्वारा किया जाता है। संघ चालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है और वही उत्तराधिकारी स्वयंसेवक संघ की निगरानी तथा संचालन करता है।
- वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तराधिकारी के तौर पर श्री मोहन भागवत जी काम कर । संघ के ज्यादातर कार्यों का निष्पादन मेन शाखा के द्वारा किया जाता है। देश में सार्वजनिक स्थानों पर सुबह या शाम में 1 घंटे के लिए स्वयंसेवकों को बुलाया जाता है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्या दशा है, किस प्रकार संघ का काम चलाया जाएगा, इसके बारे में बातचीत की जाती है।
- वर्तमान समय में पूरे भारत में लगभग 55,000 से ज्यादा शाखाएं बनाई गई है। इतनी ज्यादा शाखाओं की वजह से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बहुत विशाल संगठन के तौर पर खड़ा हो पाया है। संघ की रचनात्मक व्यवस्था में केंद्र, क्षेत्र, विभाग, जिला, तालुका, तहसील, नगर मंडल, ग्राम, शाखा को शामिल किया जाता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में की जाने वाली गतिविधियां
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जितनी भी शाखाएं हैं, वहां पर स्वयंसेवकों को खेल, योग, वंदना करवाई जाती है और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा / परिचर्चा भी गी की जाती है। इसके अलावा राजनैतिक तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्या परिभाषा है और इसका संचालन किस प्रकार किया जाए, इसके ऊपर भी सारी चर्चा की जाती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं | RSS Branch 2022
किसी भी मैदान में खुली जगह पर 1 घंटे के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा लगाई जाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, गीत और प्रार्थना होती है। 5 प्रकार की शाखाएं पूरे भारतवर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा लगाई जाती है, जिनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित प्रकार है:-
शाखा के प्रकार | शाखा की परिभाषा |
प्रभात शाखा | सुबह लगने लगने वाली शाखा को प्रभात शाखा कहा जाता है, इस शाखा में सुबह में होने वाली गतिविधियां जैसे व्यायाम, सूर्य नमस्कार और प्रार्थना की जाती है। |
सायं शाखा | शाम में लगने वाली शाखा को सायं शाखा कहा जाता है, इस शाखा में विचार विमर्श किया जाता है। |
रात्रि शाखा | रात्रि शाखा रात में लगने वाली शाखा कहा जाता है। |
मिलन | सप्ताह में एक या दो बारे लगने वाली शाखा को मिलन कहा जाता है, इस शाखा में देश के अंदर होने वाली गतिविधियों के बारे में विचार चर्चा की जाती है। |
संघ मंडली | महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को संघ मंडली कहा जाता है, इसमें अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। |
विश्व के अन्य देशों में भी शाखाओं का कार्य स्वयंसेवक संघ द्वारा चलाया जाता है, पर यह सारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से नहीं चलता, अलग-अलग नामों से चलाया जाता है। कहीं पर भारतीय स्वयंसेवक संघ, तो कहीं पर हिंदू स्वयंसेवक संघ के माध्यम से चलाई जाती है।
शाखा के अंदर अधिकारियों की पोस्ट
कार्यवाह | शाखा में सबसे बड़ी पोस्ट कार्यवाह की होती है, जिसके द्वारा सारे कार्यों की निगरानी रखी जाती है, उसको कार्यवाह कहा जाता है। |
मुख्य शिक्षक | दैनिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए मुख्य शिक्षक को कार्यभार संभाला जाता है। मुख्य शिक्षक का काम शाखा के अंदर दिन भर में होने वाली गतिविधियों का ध्यान रखना तथा उचित व्यवस्था करके सारे कार्यों को उचित रुप से चलाना होता है।
इसके अतिरिक्त मुख्य शिक्षक शाखा में बौद्धिक व शारीरिक क्रियाओं के साथ-साथ स्वयंसेवकों का पूर्ण विकास करने के लिए भी कार्यशील होता है। |
स्वयंसेवक | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जितने भी मेंबर होते हैं, उनको स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक कहा जाता है। स्वयंसेवक का अर्थ होता है, जो सदस्य शाखा में स्वयं की इच्छा से आया हो। |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल दूसरे संगठन
- ऐसे कई संगठन है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित हैं और स्वयं को संघ परिवार के सदस्य बनाने हेतु तत्पर हैं, ज्यादातर इन संगठनों को शुरुआती वर्षों में प्रचारकों द्वारा नियुक्त किया गया था परंतु इसके बाद यह सारे संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा ही स्वचालित किए जाने लगे।
- पूरी दुनिया में लगभग 80 से अधिक देशों में अलग अलग संगठन चलाए जाते हैं जोकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ मिलकर काम करते हैं। संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यशील हैं और लगभग 200 से अधिक संगठन क्षेत्रीय प्रभाव में कार्यशील हैं, कुछ प्रमुख संगठन ऐसे हैं जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और समाज के बीच में क्रियाशील है तथा पूरा कार्यभार विचारधारा के आधार पर ही देश में चलाने के लिए हर प्रयास करते हैं।
- इसके अतिरिक्त कुछ राष्ट्रवादी सामाजिक राजनैतिक युवा वर्गों के बीच में कार्य करने वाले शिक्षा के क्षेत्र में धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में संतों के बीच विदेशों में, अन्य कई क्षेत्रों में परिवारों के संगठन बनाई गई है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा ही संचालित किए जा रहे हैं या इसी संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से पूरे देश में सक्रिय हैं।

संबद्ध संगठन
अलग-अलग संगठन जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा पर ही चल रहे हैं, उन संगठनों को संबद्ध संगठन कहा जाता है। संबद्ध संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए ही स्थापित हुए हैं।
निम्नलिखित संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सम्मिलित हैं, उन संबद्ध संगठनों का नाम कुछ इस प्रकार है:-
- भारतीय जनता पार्टी
- भारतीय किसान संघ
- भारतीय मजदूर संघ
- सेवा भारती
- राष्ट्र सेविका समिति
- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
- विश्व हिंदू परिषद
- हिंदू स्वयंसेवक संघ
- स्वदेशी जागरण मंच
- हिंदू सरस्वती शिशु मंदिर
- विद्या भारती
- वनवासी कल्याण आश्रम
- मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
- बजरंग दल
- लघु उद्योग भारती
- भारतीय विचार केंद्र
- विश्व संवाद केंद्र
- राष्ट्रीय सिख संगत
- हिंदू जागरण मंच
- विवेकानंद केंद्र
यह सारे वह संगठन है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से प्रेरित हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दी जाने वाली शिक्षा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कई ऐसे शिक्षण वर्ग हैं, जो सेवकों को बौद्धिक और शारीरिक रूप से जानकारी, धर्म की शिक्षा भी प्रदान करते हैं। उन सभी वर्गों का वर्णन नीचे दिया गया है:-
शिक्षण वर्ग | शिक्षण वर्ग की परिभाषा एवं काम |
दीपावली वर्ग | दीपावली वर्ग 3 दिनों के लिए होता है। इस वर्ग को हर साल दिवाली के आसपास तालुका या नगर स्तर पर आयोजित किया जाता है, इस वर्ग का काम बौद्धिक शिक्षा प्रदान करना होता है। |
हेमंत शिविर | हेमंत शिविर हर साल दिसंबर के महीने में जिला या विभागीय स्तर पर 3 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है, इसमें राष्ट्र और धर्म से संबंधित शिक्षा प्रदान की जाती है। |
निवासी वर्ग | निवासी वर्ग शाम से सुबह तक हर महीने होता है, इस वर्ग को शाखा, तालुका द्वारा प्रायोजित किया जाता है। |
संघ शिक्षा वर्ग | संघ शिक्षा वर्ग में प्राथमिक वर्ग, प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष कुल चार प्रकार के संघ शिक्षा वर्ग स्थापित किए जाते हैं। इनमें से प्राथमिक वर्ग 1 सप्ताह के लिए होता है, जबकि प्रथम और द्वितीय वर्ग 10-10 दिनों के लिए होते हैं।
तृतीय वर्ग को 25 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। प्राथमिक वर्ग को जिला स्तर पर आयोजित किया जाता है। प्रथम संघ शिक्षा वर्ग को प्रांतीय स्तर पर आयोजित किया जाता है। द्वितीय संघ शिक्षा वर्ग को क्षेत्र के हिसाब से आयोजित किया जाता है। तृतीय शिक्षा वर्ग हर साल नागपुर में ही आयोजित किया जाता है। |
बौद्धिक वर्ग | बौद्धिक वर्ग हर 2-3 महीने में एक बार नगर या तालुका स्तर पर आयोजित किया जाता है और इस में बौद्धिक वर्ग में संबंधित शिक्षा प्रदान की जाती है। |
शारीरिक वर्ग | हर 2 महीने में एक बार नगर या तालुका स्तर पर आयोजित किया जाता है। व्यायाम / योगा आसन से संबंधित शिक्षा प्रदान की जाती है। |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2022 के कार्य
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्ण तौर पर हिंदू धर्म से प्रेरित है और हिंदू धर्म में सामाजिक समानता पर आधारित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा समाज के लिए के लिए कई प्रकार के सामाजिक कार्य, समाज सेवा और सामाजिक सुधार के लिए प्रयास किए जाते हैं।
- अनुशासन तथा पूर्ण तौर पर भौतिक शारीरिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे देश में कार्यशील है, इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा राहत और पुनर्वास के लिए भी कई प्रकार के कार्य किए जाते हैं।
How to Join RSS 2021 | RSS Registration form
अगर आप भी आरएसएस ज्वाइन करना चाहते हो तो कृपया नीचे दिए गए लिंक में जाए और आरएसएस का फॉर्म भरे.
https://www.rss.org/pages/joinrss.aspx

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उपलब्धियां
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुरुआती दौर में भारत चीन युद्ध में बहुत ही प्रभावशाली भूमिका निभाई थी।
- गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमंत्रण भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भारतीय सरकार द्वारा दिया गया था।
- दादरा नगर हवेली और गोवा मुक्त करवाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बहुत ही निर्णायक और महत्वकांक्षी भूमिका निभाई थी। 21 जुलाई, 1954 को दादरा में पुर्तगालियों को मुक्त करवाने के प्रयास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा किए गए थे।
- इसके अतिरिक्त 28 जुलाई, 1954 को स्वयंसेवकों के संघ ने पुर्तगालियों का झंडा उतार कर भारत में झंडा फहराने का काम अथवा दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त भी करवाई।
- 1955 में स्वयंसेवकों ने गोवा मुक्ति संग्राम के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।जवाहरलाल नेहरू जी के इंकार करने पर जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने गोवा मुक्ति संग्राम को बहुत ही बेहतरीन ढंग से निभाया। इस वजह से स्वयंसेवकों को 10 साल की सजा भी सुनाई दे गई।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उड़ीसा चक्रवात और आंध्रप्रदेश चक्रवात में राहत कार्य में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी सेवा भारती और जम्मू कश्मीर सेवा भारती ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से परेशान बच्चों को गोद लिया और इसके बाद उनको शिक्षा के लिए हर प्रकार की सहायता प्रदान की थी।
- भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब आप आपका रानी आपातकालीन आपातकाल की घोषणा की, तो उस समय स्वयंसेवक संघ ने आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया। इंदिरा गांधी जी के प्रतिबंध लगाने के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों जैसे कि जनसंघ विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद एवं मजदूर संघ इत्यादि ने मिलकर इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पूर्ण योगदान दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ऊपर आलोचनाएं
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर समय-समय पर कई इल्जाम भी लगे और संघ की आलोचनाएं भी हुई। महात्मा गांधी जी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। जिस वजह से संघ पर रोक भी लगा दी गई थी।
- इसके अतिरिक्त हिंदूवादी और फासीवादी संगठन के तौर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आलोचना हमेशा होती रही है।
जब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत हुई है, तब से लेकर आज तक RSS निरंतर चल रहा है और इसमें सदस्यों की गिनती हमेशा से ही बढ़ती रही है। भले ही आर एस एस को लेकर कई लोग इसके पक्ष में होते हैं, तो कई लोग इसके विपक्ष में भी बात करते हैं; परंतु फिर भी यह संगठन बाकी संगठनों की तुलना में एक विशाल संगठन के तौर पर विश्व में खड़ा नजर आता है।
सरकारी योजना List | प्रधानमंत्री सरकारी योजना |
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