निजीकरण योजना 2021 | Nijikaran Yojana 2021 | Privatization Scheme 2021

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Nijikaran Yojana 2021
Nijikaran Yojana 2021

निजीकरण योजना 2021 | Nijikaran Yojana 2021 | Privatization Scheme 2021

निजीकरण का अर्थ है, किसी सरकारी वस्तु, संस्था आदि का स्वामित्व किसी व्यक्ति या विशेष संस्था को देने की क्रिया अर्थात यदि सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं का राजकीय हिस्सा निजी व्यक्तियों को हस्तान्तरित कर दिया जाता है, तो इस प्रक्रिया को निजीकरण कहा जाता हैI इस प्रक्रिया से संस्था का सार्वजनिक स्वरुप समाप्त हो जाता है अर्थात और उस क्षेत्र पर मालिकाना हक्क सरकार का नहीं बल्कि प्राइवेट संस्था का हो जाता है।

मौजूदा सरकार निजीकरण योजना के तहत कई सार्वजानिक क्षेत्रों का समामित्व प्राइवेट संस्थानों को सौंपने के बारे में कैबिनेट में प्रस्ताव रख रही है। वर्ष 1991 के बाद से ही निजीकरण की तरफ कदम बढ़ाये जा रहे हैं। सरकार निजीकरण करके कुछ क्षेत्रों का मालिकाना हक्क प्राइवेट संस्थाओं को सौंपने की तरफ कदम बढ़ा रही है ताकि होने वाले आर्थिक घाटे को पूरा कर सके और देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके।

निजीकरण योजना 2021 का उद्देश्य | Nijikaran Yojana 2021 | Privatization Scheme 2021 : Objectives

वर्तमान में यह आवश्यक हो गया है कि सरकार स्वयं को गैर सामरिक उद्यमोंके नियंत्रण, प्रबंधन और संचालन के बजाय शासन की दक्षता पर अपना अधिक ध्यान केंद्रित करके देश के अन्य मुद्दों पर ध्यान दे सके। गैर-महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में लगी सार्वजनिक संसाधनों की धनराशि को समाज की प्राथमिकता में सर्वोपरि क्षेत्रों जैसे- सार्वजनिक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, प्राथमिक शिक्षा तथा सामाजिक और आवश्यक आधारभूत संरचना में लगाने के उपलक्ष में निजीकरण किया जा रहा है। इसी उद्देश्य के तहत निजीकरण करने के बारे में सरकार सोच रही है।

निजीकरण योजना के पीछे सरकार की धारणा 

सार्वजनिक क्षेत्र के मौजूदा हालात

वर्तमान में कुछ बड़े सार्वजनिक उपक्रम जैसे- भारत संचार निगम लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड और एयर इंडिया जैसी कंपनियां घाटे में चल रही हैं। घाटे में जा रहे संस्थानों को घाटे से बाहर निकलने के लिए सरकार निजीकरण करना चाह रही है।

बैंकों में बढ़ती गैर-निष्पादन परिसंपत्ति (NPA)

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर-निष्पादन परिसंपत्ति (NPA) के बढ़ते हस्तक्षेप को रोकने अथवा दबावग्रस्त परिसंपत्तियों, बढ़ते भ्रष्टाचार तथा बेहतर प्रबंधन एवं संचालन क्षमता की समस्या के समाधान के लिए सरकार बैंकों के स्वामित्व में अपनी हिस्सेदारी निकालकर सारा मालिकान हक्क प्राइवेट संस्थाओं को बेचने के बारे में प्रस्ताव रख रही है।

सार्वजनिक ऋण का बोझ

सार्वजनिक क्षेत्रों के सार्वजनिक ऋण के बोझ को कम करने और सारे लोन चुकाने लिए सरकार निजीकरण के उपलक्ष में योजना बना रही है।

गैर महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र

गैर-महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में लगी सार्वजनिक संसाधनों की धनराशि को समाज की प्राथमिकता में सर्वोपरि क्षेत्रों जैसे- सार्वजनिक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, प्राथमिक शिक्षा तथा सामाजिक और आवश्यक आधारभूत संरचना में लगाने तथा महत्वपूर्ण विषयों की  तरफ ध्यान केंद्रित करने के लिए भी निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

निजीकरण योजना 2021 के लाभ | Nijikaran Yojana 2021 | Privatization Scheme 2021 : Benefits

  • निजीकरण योजनासे निजीकृत कंपनियों में बाज़ार अनुशासन एवं आर्थिक कार्यबल के निष्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
  • सार्वजनिक क्षेत्र निजीकरण के तहत बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों का अधिक सक्रियता से मुकाबला करने में सक्ष्म हो पाएंगे।
  • सार्वजनिक क्षेत्र निजीकरण के तहत अपनी वाणिज्यिक आवश्यकताओं की पूर्ति अधिक व्यावसायिक तरीके से कर पाएंगे एवं सरकारी क्षेत्र के उद्यमों की सरकारी नियंत्रण सीमित हो जायेगा।
  • निजीकृत कंपनियों के शेयरों की पेशकश छोटे निवेशकों और कर्मचारियों को किये जाने से छोटे निवेशकों और कर्मचारियों को भी लाभ होगा।
  • सार्वजनिक क्षेत्र निजीकरण के तहत पूंजी बाज़ार, मूल्यांकन और कीमत निर्धारण के लिये भी लाभकारी और सकारत्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • निजीकृत कंपनियों को अपनी परियोजनाओं अथवा उनके विस्तार के लिये निधियाँ जुटाने में सहायता के साथ-साथ अन्य फायदे भी मिलेंगे। ।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण से दीर्घावधि तक अर्थव्यवस्था, रोज़गार और कर-राजस्व पर लाभकारी प्रभाव पड़ने के आसार हैं।
  • सस्ते तथा बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं के चलते उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, देश की अर्थव्यवस्था पर भी लाभकारी प्रभाव पड़ेगा।

निजीकरण योजना 2021 से संबंधित समस्याएँ | Nijikaran Yojana 2021 | Privatization Scheme 2021 : Problem

  • भले ही निजीकरण के क्या फायदे हैं, परन्तु भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में निजीकरण की कई कठिनाइयाँ हैं।
  • सबसे बड़ी कठिनाई यूनियन के माध्यम से श्रमिकों की ओर से किया जाने वाला विरोध है, बड़ी कंपनियों के हस्तक्षेप से बडे़ पैमाने पर प्रबंधन और कार्य-संस्कृति में परिवर्तन से श्रमिक भयभीत हैं, जिस वजह देश भर में इस का विरोध किया जा रहा है।
  • निजीकरण के पश्चात् सार्वजनिक कार्यों और जनसामान्य के लिये सार्वजनिक एरिया का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
  • निजीकरण द्वारा बड़े उद्योगों को लाभ पहुँचाने की बात भी विरोध का कारण है।
  • निजीकरण द्वारा बड़े उद्योगों के द्वारा निगमीकरण प्रोत्साहित हो सकता है, जिससे धन संकेंद्रण की संभावना बढ़ जाएगी; निगमीकरण के द्वारा और लोगों को परेशानियों कासामना भी करना पड़ सकता है, जिसका डर लोगों को सता रहा है।
  • वर्तमान में वैश्विक स्तर पर चल रहे व्यापार युद्ध और संरक्षणवादी नीतियों के कारण सरकार के नियंत्रण के अभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ने की आशंका से भी मना नहीं किया जा सकता।

बैंकों के विलय और निजीकरण की संभावना

  • 2018 में जीवन बीमा निगम ने बैंक में अधिकांश हिस्सेदारी ले ली थी और सरकार की शेयरधारिता लगभग 46 प्रतिशत ही हिस्सेदारी बची है और सरकार बैंक की हिस्सेदारी निजीकरण के तहत देने के उपलक्ष में कार्य कर रही है।
  • सरकारी सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय कैबिनेट की मंजूरी के एक महीने के भीतर नीति को अधिसूचित करेगा. हालांकि, बैंकों के विलय और निजीकरण पर वास्तविक रूप से अमल होने में अभी काफी समय लगने की संभावना है। अभी सिर्फ सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी घटाने और अंतत: इससे बाहर होने के सरकार द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं।
  • मौजूदा समय में बजट घोषणा के मुताबिक सरकार की पहली प्राथमिकता आईडीबीआई बैंक में अपनी बची हिस्सेदारी को घटाकर बैंकों को निजी संस्थानों के पास बेच देगी, ताकि सरकार का वित्तीय बोझ कम हो जायेगा।
  • सरकारी अनुमानों के अनुसार, भारत में 348 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हैं और इन फर्मों में सरकार की हिस्सेदारी वाली कुल परिसंपत्ति लगभग 7 लाख करोड़ रुपये की है, सरकार निजीकरण के बारे में सोच रही है, परन्तु अभी निजीकरण पूर्ण तरीके से लागु नहीं हो पाया; क्यूंकि सरकार के साथ दूसरी राजनैतिक पार्टियों के मतभेद चल रहे हैं।

दूसरा कारण ये भी है कि सार्वजनिक क्षेत्र  का निजीकरण करके औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं  का एकमात्र उपाय नहीं है। भारत में निजीकरण को अर्थव्यवस्था की वर्तमान सभी समस्याओं को एकमात्र उपाय नहीं माना जा सकता; इसलिए सरकार को निजीकरण के और बदल भी सोचने पड़ेंगे क्यूंकि सरकार और आम नागरिकों के बीच में टकराव बढ़ने की संभावना पैदा हो सकती है।

सरकारी योजना List 2021 प्रधानमंत्री सरकारी योजना 2021

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