चुनावी बॉन्ड योजना 2021 | Electoral bond scheme 2021 | Chunavi Bond Yojana 2021

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Chunavi Bond Yojana
Chunavi Bond Yojana

चुनावी बॉन्ड योजना 2021 | Electoral Bond Scheme 2021 | Chunavi Bond Yojana 2021

चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के चुनावी बजट के दौरान चुनावी बॉण्ड की घोषणा की थी। 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि चुनावी बॉण्ड को अंतिम रूप दे दिया गया है।

चुनावी बॉण्ड से मतलब ऐसे बॉण्ड से होता है, जिसके ऊपर करेंसी नोट की तरह उसका वैल्यू या मूल्य लिखा होता है। यह बॉण्ड, व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों द्वारा राजनितिक दल को चंदे देने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह चुनावी बॉण्ड 1000₹, 10000₹, 1लाख ₹, 10 लाख ₹ और 1 करोड़ ₹ के मूल्य में उपलब्ध होगा। इसे राजनितिक दलों को मिलने वाली चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।

योजना का नाम चुनावी बॉण्ड योजना
अधिसूचना जारी होने की तिथि 2 जनवरी 2018
अधिसूचना जारी करने वाली संस्था भारतीय चुनाव आयोग
उद्देश्य चुनाव में काला धन के उपयोग पर रोक लगाना और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
बॉण्ड जारी करने वाला बैंक भारतीय स्टेट बैंक
चुनावी बॉण्ड का मूल्य 1000₹, 10000₹, 1 लाख ₹, 10 लाख ₹ और 1 करोड़ ₹।

 

चुनावी बॉन्ड योजना 2021 का मुख्य उद्देशय | Electoral Bond Scheme 2021: Objectives | Chunavi Bond Yojana 2021

चुनावी बॉण्ड योजना  :

चुनावी बॉण्ड योजना का मुख्य उद्देश्य राजनितिक पार्टियों को दिए जाने वाले नकद एवं गुप्त चंदे को रोकना है। और चुनाव में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।

चुनावी बॉन्ड योजना 2021 के प्रमुख तथ्य | Electoral bond scheme 2021: Guideline

  • भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहाँ चुनावी फन्डिंग और राजनीती में काला धन पर लगाम लगाने के लिए चुनावी बॉण्ड योजना को लाया गया है।
  • 2 जनवरी 2018 को चुनाव आयोग ने चुनावी बॉण्ड की अधिसूचना जारी की।
  • भारत के कोई भी नगरी, संस्था या संगठन चुनावी चंदे के लिए बॉण्ड खरीद सकेंगे।
  • यह चुनावी बॉण्ड 1000₹, 10000₹, 1लाख ₹, 10 लाख ₹ और 1 करोड़ ₹ के मूल्य में उपलब्ध होगा।
  • दानकर्ता चुनाव आयोग में पंजीकृत किसी भी पार्टी में यह चंदा दे सकता है। शर्त ये है कि उस पार्टी ने पिछले चुनाव में कमसेकम 1% वोट हासिल किये हों।
  • बांड के लिए दानकर्ता को अपनी सारी जानकारी (KYC) बैंक को देनी होगी।
  • चुनावी बांड को खरीदने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा।
  • इस बॉण्ड पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जायेगा।
  • इस बैंक को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चुनिंदा शाखाओं से ही ख़रीदा जा सकता है।
  • बैंक के पास इस बात की जानकारी होगा की कोई चुनावी बॉण्ड किसने ख़रीदा।
  • चुनाबी बांड को राजनीतिक दल अपने निर्धारित बैंक के खाता में भुना सकेंगे। जिसकी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी।
  • बॉण्ड खरीदने वालों को उसका जिक्र अपने बैलेंस शीट में भी करना होगा।
  • चुनावी बॉण्ड्स चुनावी वर्ष में जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में (30 दिन बिक्री हेतु उपलब्ध रहेगा) ख़रीदा जा सकता है। सामान्य वर्ष में उक्त महीनो में 10 दिन के लिए बिकने हेतु उपलब्ध रहेगा।
  • बांड खरीदे जाने के 15 दिनों तक मान्य होंगे।
  • राजनितिक दलों को चुनाव आयोग को भी बताना होगा कि चुनावी बॉन्ड से उन्हें कितना धन मिला।

2017 बजट से पहले यह नियम था कि अगर राजनितिक दल को 20000₹ से कम चन्दा मिलता है, तो उसे चुनाव आयोग को बताने की जरुरत नहीं थी। इसी का फायदा अधिकतर दल उठाते थे। वे कहते थे की अधिकतर चंदा उन्हें प्रति व्यक्ति से 20000₹ से कम मिले हैं। अतः उन्हें इसका स्रोत बताने की जरुरत नहीं है। इस तरह से देश में काला धन को बढ़ावा मिलता था और इस काले धन का उपयोग चुनाव को जीतने के लिए किया जाता था। कुछ दल यह दिखाते थे कि 80 से 90 प्रतिशत चंदा उन्हें 20 हजार ₹ से कम फुटकर के रूप में मिला है।

2017 के बजट भाषण के अनुसार राजनितिक दल को गुमनाम नगद चंदा की सीमा घटाकर 2000₹ कर दिया गया है। अब 2000₹ से ऊपर के चंदा का स्रोत राजनितिक दलो को बताना होगा।

चुनावी बॉण्ड जारी होने से काला धन खत्म तो नहीं होगा, लेकिन चंदे का स्रोत जरूर पता चलेगा कि राजनितिक दलों को कहाँकहाँ से चंदा प्राप्त होता है। कहीं इनका पैसे का स्रोत विदेशों से तो नहीं हैं, जो हमारे देश की अखंडता को तोड़ने में लगी हुई है।

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