आधार और अन्य कानून संशोधन 2021 | Aadhaar Kanoon Sansodhan Yojana 2021

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    Aadhaar Kanoon Sansodhan Yojana
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    जाने क्या है आधार और अन्य कानून संशोधन 2021 | Aadhaar Kanoon Sansodhan Yojana 2021

    क्या आपको पता है आधार और अन्य कानून संशोधन क्या है और आप इसका लाभ कैसे उठा सकते है। केंद्र सरकार ने आधार एवं अन्य कानून विधेयक 2019 में लाए गए आधिकारिक बदलावों को मंजूरी दे दी है। कानून के इस संशोधन के तहत एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। इस प्रवाधान के बाद अब आधार के आंकड़ों उपयोग राज्य योजनाओं और सब्सिडी के लिए किया जा सकेगा। आधार कानून में संशोधन के बाद राज्य की ओर से चलाई जाने वाली योजनाओं के लिए राज्य सरकारें राष्ट्रीय बायोमीट्रिक पहचान का प्रयोग कर सकेंगी। संसद में इससे पहले आधार एवं अन्य कानून में संशोधनों को मंजूरी दी गई थी। यह संशोधन मोबाइल फोन का सिम कार्ड लेने या बैंक खाता खोलने के लिए 12 अंकों की इस विशिष्ट पहचान संख्या का इस्तेमाल स्वैच्छिक रूप से करने की अनुमति दिए जाने से संबंधित था। केंद्र सरकार ने अब इसमें एक नया प्रावधान जोड़ने के लिए संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसमें राज्यों को अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आधार के प्रयोग की अनुमति दिए जाने का प्रावधान है। आधार एवं अन्य कानून संशोधन 2019 में एक नई धारा 5ए को जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि प्रमुख कानून की धारा 7 में भारत के समेकित कोष के साथ ही ‘राज्य का समेकित कोष’ शब्द जोड़ा गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ‘राज्य इसकी मांग कर रहे थे। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार ऐसे मामलों में आधार के इस्तेमाल की अनुमति है, जहां फंड सीधे केंद्र सरकार से आता है।

    आधार और अन्य कानून संशोधन 2021 के उद्देश्य | Aadhaar Kanoon Sansodhan Yojana 2021 : Objectives

    1. यह आधार और अन्य कानून संशोधन के तहत उपयोगकर्ताओं को बैंक खाते खोलने और मोबाइल फोन कनेक्शन प्राप्त करने के लिये पहचान के प्रमाण के रूप में आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देता है।
    2. इस आधार और अन्य कानून संशोधन का प्रमुख उद्देश्य आधार के उपयोग के लिये निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन पर सख्त जुर्माना लगाना है।
    3. इस आधार और अन्य कानून संशोधन के तहत आधार नियमों का उल्लंघन करने वाली फर्मों पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना व जेल का प्रावधान है।
    4. इस आधार और अन्य कानून संशोधन के तहत जनहित की सेवा करने और आधार के दुरुपयोग को रोकने के लिये एक मजबूत तंत्र के निर्माण में सक्षम होगा।
    5. इस आधार और अन्य कानून संशोधन में निजी संस्थाओं द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 57 को हटाने का भी प्रस्ताव है।

    आधार और अन्य कानून संशोधन 2021 की मुख्य विशेषताएं | Aadhaar Kanoon Sansodhan Yojana 2021 : Features

    1. यह आधार और अन्य कानून संशोधन आधार संख्या, धारक की सहमति से प्रमाणी करण या ऑफ़लाइन सत्यापन द्वारा भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग की सुविधा प्रदान करता है।
    2. यह आधार और अन्य कानून संशोधन कंपनियों को केवल तब प्रमाणीकरण करने की अनुमति देता है जब वे प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट गोपनीयता और सुरक्षा के मानकों को पूरा करती हैं। प्रमाणीकरण की अनुमति संसद या संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के तहत दी जाती है या इसे केंद्र सरकार द्वारा राज्य के हित में होना निर्धारित किया जाता है।
    3. टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत स्वीकार्य केवाईसी दस्तावेज़ के प्रमाणीकरण के लिए स्वेच्छा से आधार संख्या के उपयोग की अनुमति देता है।
    4. यह आधार और अन्य कानून संशोधन उन बच्चों को जो आधार संख्या धारक हैं, को अठारह वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अपनी आधार संख्या को रद्द करने का विकल्प देता है।
    5. आधार और अन्य कानून संशोधन के अनुसार सेवाओं के न मिलने पर या उन्हें पाने में असमर्थ, होने पर आधार प्रमाणीकरण की प्रक्रिया से गुज़रता है और उन्हें उपलब्ध कराता है।

    आधार और अन्य कानून संशोधन 2021 के निष्कर्ष | Aadhaar Kanoon Sansodhan Yojana 2021 : Conclustion

    हमारे देश में आधार को लॉन्च हुए एक दशक से भी अधिक समय हो चुका है। आधार ने भारत में सरकार एवं लोगों के बीच विभिन्न सेवाओं के अंतरण जैसी उपयोगी भूमिका निभाई है। इससे सरकारी बजट में कुशलता आई है, साथ ही लक्षित व्यक्ति तक सेवाओं की पहुँच को सुनिश्चित किया जा सका है। आधार में किसी भी व्यक्ति विशेष से संबंधित अति निजी एवं गोपनीय सूचनाएँ होती हैं यदि इनका प्रकटीकरण किया जाता है अथवा दुरुपयोग किया जाता है तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उपर्युक्त विचार के संदर्भ में भारत में आधार को लेकर वाद-विवाद होता रहा है तथा आधार को अधिक सुरक्षित बनाने के लिये भी समय-समय पर प्रयास किये जाते रहे हैं। सरकार ने वर्ष 2016 में आधार अधिनियम को क़ानूनी रूप दिया किंतु इससे जुड़े विवाद समाप्त नहीं हो सके। इस परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने इसकी संवैधानिक वैद्यता को सही ठहराया, लेकिन कुछ बदलाव के लिये सरकार को निर्देश भी दिये। ऐसे ही निर्देशों, निजता के अधिकार एवं राष्ट्र हित के लिये आवश्यक प्रावधानों के साथ आधार एवं अन्य कानून विधेयक, 2019 को पारित किया गया है।

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